सोमवार 14 जुलाई 2025 - 23:05
उलेमा और तलबा हमेशा इस्लाम और जनता की रक्षा में सबसे आगे रहे हैं

हौज़ा / आयतुल्लाह अब्बास काबी ने कहा, अशूराई मिल्लत ईरान अपमान और डर जैसी अवधारणाओं से अनजान है अगर अमेरिका या सियोनीस्ट सरकार की तरफ से कोई आक्रमण होता है, तो पूरी ताकत के साथ दुश्मन को सजा देगी। दुश्मन में कभी भी ईरानी कौम के फौलादी इरादों को तोड़ने की ताकत नहीं है, क्योंकि सम्मानित और गौरवशाली ईरानी कौम इस्लामी क्रांति के हर मैदान में सरबुलंद रही है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , से बातचीत में रहबर-ए मोअज़्ज़म की विशेषज्ञ परिषद के सदस्य आयतुल्लाह काबी ने कहा,दुश्मन ने हाल के 12-दिवसीय युद्ध में ईरानी कौम के अद्वितीय एकता की उम्मीद नहीं की थी, लेकिन हर वर्ग के लोग हर स्तर पर एक-दूसरे के कंधे से कंधा मिलाकर सियोनीस्ट दुश्मन के सामने डट गए। यही एकता भविष्य में इस्लामी क्रांति की सफलता का मुख्य कारण बन सकती है।

उन्होंने कहा,ईरानी कौम इतिहास भर में सब्र करने वाली, प्रतिरोधी और फौलादी इरादे वाली रही है, और इसी प्रतिरोधी भावना ने इस्लाम के दुश्मनों, खासकर अमेरिका और सियोनीस्ट सरकार को ऐतिहासिक हार का सामना कराया है। अब यह उलेमा, हौज़ा और विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवियों और जिम्मेदार लोगों की जिम्मेदारी है कि इस भावना को सुरक्षित रखें और और मजबूत करें।

उन्होंने 12-दिवसीय युद्ध में उलेमा की जिहादी भागीदारी का जिक्र करते हुए कहा,उलेमा और तलबा (धार्मिक छात्र) हमेशा इस्लाम और जनता की रक्षा में सबसे आगे रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ तबलीग और तब्यीन के मैदान में जिहादी तरीका अपनाया, बल्कि जनता की सुरक्षा की रक्षा में भी मस्जिदों और धार्मिक संस्थाओं को केंद्र बनाकर व्यावहारिक भूमिका निभाई।

आयतुल्लाह काबी ने युद्ध के बाद के माहौल में उलेमा की अहम भूमिका पर जोर देते हुए कहा, वर्तमान दौर में 'जिहाद-ए-तब्यीन' उलेमा और तलबा की मुख्य जिम्मेदारी है, ताकि दुश्मन की तरफ से फूट डालने और भटकाने वाले मुद्दों को हवा देने की साजिशों को नाकाम किया जा सके।

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